
Dil Mein Hardam Chubhne Wala | Madhav Kaushik
18/12/2025 | 4 mins.
दिल में हर दम चुभने वाला । माधव कौशिक दिल में हर दम चुभने वाला काँटा सही सलामत देआँखें दे या मत दे लेकिन सपना सही सलामत देहमें तो युद्ध आतंक भूख से मारी धरती बख़्शी हैआने वाली पीढ़ी को तो दुनिया सही सलामत देदावा है मैं इक दिन उस को दरिया कर के छोड़ूँगाखुली हथेली पर आँसू का क़तरा सही सलामत देबच्चे भी अब खेल रहे हैं ख़तरनाक हथियारों सेबचपन की बग़िया को कोई गुड़िया सही सलामत देआधी और अधूरी हसरत कब तक ज़िंदा रक्खेंगेकाग़ज़ पर ही दे लेकिन घर का नक़्शा सही सलामत देभीड़ भरी महफ़िल में सबकी अलग अलग पहचान तो हो इसीलिए हर एक इंसान को चेहरा सही सलामत दे दिल में हर दम चुभने वाला काँटा सही सलामत देआँखें दे या मत दे लेकिन सपना सही सलामत दे

Itni Si Azadi | Rupam Mishra
17/12/2025 | 3 mins.
इतनी सी आज़ादी । रूपम मिश्रचाहती हूँ जब घर-दुवार के सब कामों से छूटूँ तो हर साँझ तुम्हें फोन करूँतुमसे बातें करूँ देश - दुनिया की सेवार- जवार बदलने और न बदलने की पेड़ पौधों के नाम से जानी जाती जगहों की तुमसे ही शोक कर लेती उस दुःख का कि पाट दिए गये गाँव के सभी कुवें ,गड़हे साथी और ढेरवातर पर अब कोई ढेरा का पेड़ नहीं है अब तो चीन्ह में भी नहीं बची बसऊ के बाग और मालदहवा की अमराई की राह में चाहकर भी अब कोई नहीं छहाँता मौजे, पुरवे विरान लगते हैं उनका हेल-मेल अब बस सुधियों में बचा हैनाली और रास्ते को लेकर मचे गंवई रेन्हे कीअबकी खूब सऊखे अनार के फूलों की तितलियाँ कभी -कभी आँगन में भी आ जाती हैं इस अचरज कीगिलहरी , फुदगुईया और एक जोड़ा बुलबुल आँगन में रोज़ आते हैं कपड़े डालने का तार उनका प्रिय अड्डा हैकुछ नहीं तो जैसे ये कि आज बड़ा चटक घाम हुआ थाऔर कल अंजोरिया बताशे जैसी छिटकी थी तुममें ही नहीं समाती तुम्हारी हँसी की या अपने मिठाई-प्रेम की तुम्हारे बढ़ते ही जा रहे वजन की जिसकी झूठी चिंता तुम मुझसे गाहे-बगाहे करते रहते होऔर बताती कि नहीं होते हमारे घरों में ऐसे बुजुर्ग कि दिल टूटने पर जिनकी गोद में सिर डाल कर रोया जा सके और जीवन में घटे प्रेम से इंस्टाग्राम पर हुए प्रेम का ताप ज़रा भी कम नहीं होता साथी , इस सच की याद दिलाती तुम्हें कार्तिक में जुते खेतों के सौंदर्य की अभिसरित माटी में उतरे पियरहूँ रंग कीऔर बार - बार तुमसे पूछती तुम्हें याद है धरती पर फूल खिलने के दिन आ गये हैं इतना ही मिलना हमारे लिए बड़ा सुख होता इतनी सी आज़ादी के लिए हम तरसते हैं और सब कहते हैं अब और कितनी आज़ादी चाहिए ।

Apna Abhinay Itna Accha Karta Hun | Naveen Sagar
16/12/2025 | 2 mins.
अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ । नवीन सागरघर से बाहर निकलाफिर अपने बाहर निकल करअपने पीछे-पीछे चलने लगापीछे मैं इतने फ़ासले पर छूटता रहाकि ओझल होने से पहले दिख जाता थाएक दिनघर लौटने के रास्ते में ओझल हो गयाओझल के पीछे कहाँ जाताघर लौट आयादीवारें धुँधली पड़ कर झुक-सी गईंसीढ़ियाँ नीचे से ऊपरऊपर से नीचे होने लगींपर वह घर नहीं लौटाघर से बाहर निकलाफिर मुझसे बाहर निकल कर चला गयामैं आईने में देखता हूँवह आईने में से मुझे नहीं देखतामैं बार-बार लौटता हूँपर वह नहीं लौटताघर में किसी को शक नहीं हैमूक चीज़ें जानती हैं पर मुझसे पूछती नहीं हैंकि वहकहाँ गया और तुम कौन हो!अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँकि हूबहू लगता हूँदरवाज़े खुल जाते हैं -नींद के नीम अँधेरे चलचित्र में जागा हुआसूने बिस्तर पर सोता हूँ।

Kona | Priya Johri 'Muktipriya'
15/12/2025 | 1 mins.
कोना । प्रिया जोहरी 'मुक्तिप्रिया’वोकोना थामेरे जीवन का,एक गहरा,सकरा,फिर भी विस्तृत-इतना कि उसमेंपूरा जीवन समा जाए।समा जाएँमेरी हर तकलीफ,हर रंज,हर तंज।उस कोने में बैठकरलिख सकती हूँअनगिनत प्रेम-पत्र,पढ़ सकती हूँमन की दो किताबें,तोड़ सकती हूँकई गुलाब,और गूँथ सकती हूँएक फूलों की माला।महसूस कर सकती हूँनदी का तेज,ताज़ी हवा का हर झोंका।देख सकती हूँ.हथेली पर रखाएक सफेद मोती,जो किसी चमत्कार साचमकता है।सजा सकती हूँबालों मेंगुलमोहर की लट,महक सकती हूँएक अनछुईखुशबू सी।खिल सकती हूँयूँ जैसेअभी-अभीकोई ताज़ा कमलखिला हो।

Theek Hai Khud Ko Hum Badalte Hain | Jaun Elia
14/12/2025 | 2 mins.
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं। जौन एलियाठीक है ख़ुद को हम बदलते हैंशुक्रिया मश्वरत का चलते हैंहो रहा हूँ मैं किस तरह बरबाददेखने वाले हाथ मलते हैंहै वो जान अब हर एक महफ़िल कीहम भी अब घर से कम निकलते हैंक्या तकल्लुफ़ करें ये कहने मेंजो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैंहै उसे दूर का सफ़र दर-पेशहम सँभाले नहीं सँभलते हैंतुम बनो रंग तुम बनो ख़ुश्बूहम तो अपने सुख़न में ढलते हैंमैं उसी तरह तो बहलता हूँऔर सब जिस तरह बहलते हैंहै अजब फ़ैसले का सहरा भीचल न पड़िए तो पाँव जलते हैं



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